Friday, May 20, 2011

अर्थ और रङ्ग

कई बार जब एक शब्द उभरता है, तब मन उस शब्द के अर्थ के साथ जुड़ा एक रङ्ग, उस से जुड़ी एक गन्ध और उस का एक ठोस आकार भी महसूस करने लगता है

अक्सर जब शब्द को दुबारा याद करने की कोशिश करता हूँ तो अर्थ, रङ्ग, गन्ध, आकार सब याद आ जाते हैं पर शब्द याद नहीं आता

उस अर्थ के दूसरे कई शब्द आसपास जमा हो जाते हैं, पर हू-ब-हू उसी रङ्ग, उसी गन्ध और उसी आकार का शब्द नहीं मिलता। कभी ऐसा भी लगता है कि शब्द तो यही था पर तब किसी और रङ्ग का था, अभी-अभी याद करने की कोशिश में उस का रङ्ग बदल गया है।

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