Wednesday, May 4, 2011

ट्रेन-खिड़की-हाथ

हवा का रङ्ग देखा है कभी

पता नहीं
शायद हवा के पार जो देखते हैं हम
सब हवा के रङ्ग हों
या आँखें बन्द हों
तब हवा जो दिखाती है
वह हवा का रङ्ग हो
कभी साफ-सफेद
कभी काला
कभी धुँधला
कभी गीला

शायद ये हवा के ही नहीं
जीवन के रङ्ग भी हो

1 comment:

  1. Bhai decide karo ragad hawa ka h ya jeevan ka........jo v ho aapke khayalat achhe h

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