Thursday, July 15, 2010

मृत्यु

एक स्वप्न

नींद में

बिलकुल जागते जीवन जैसा

हम देखते रहे

स्वप्न को सच मानते रहे

पर स्वप्न का सच

जब

जागते जीवन के सच को

काटने लगा

नींद खुल जाती है

फिर

चाह कर भी हम

जागते हुए

स्वप्न के सच को

बदल नहीं सकते

कहीं ऐसा तो नहीं

की जागता जीवन भी

एक स्वप्न है

बिलकुल

किसी और जीवन जैसा

और हम

उसे ही

सच मानते रहे

पर

जिस दिन

ये जागते जीवन का सच

इससे बड़े किसी और सच को

काटने जायेगा

नींद खुल जाएगी

और हम जाग जायेंगे

फिर चाह कर भी हम

इस जागते जीवन की

चीजो को आकर

बदल नहीं पाएंगे

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