एक स्वप्न
नींद में
बिलकुल जागते जीवन जैसा
हम देखते रहे
स्वप्न को सच मानते रहे
पर स्वप्न का सच
जब
जागते जीवन के सच को
काटने लगा
नींद खुल जाती है
फिर
चाह कर भी हम
जागते हुए
स्वप्न के सच को
बदल नहीं सकते
कहीं ऐसा तो नहीं
की जागता जीवन भी
एक स्वप्न है
बिलकुल
किसी और जीवन जैसा
और हम
उसे ही
सच मानते रहे
पर
जिस दिन
ये जागते जीवन का सच
इससे बड़े किसी और सच को
काटने जायेगा
नींद खुल जाएगी
और हम जाग जायेंगे
फिर चाह कर भी हम
इस जागते जीवन की
चीजो को आकर
बदल नहीं पाएंगे
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